ममी का रहस्य Mystery of Mummy in Egypt Mummy ka rahasya Hindi
ममी का रहस्य (Mystery of Mummy in Hindi)
Mummy ka rahasya Hindi
ममी का अर्थ होता है एक मृत शरीर जिसे सुरक्षित कर दफनाया जाता है. ममी एक मृत व्यक्ति का शरीर है जो की कपडे में लपेटा हुआ और कब्र में रखा हुआ होता है.
दूसरी परिभाषा में ममी एक सुरक्षित शव को कहते है जिसके अंग एवं त्वचा को जानबूझकर या बिना बुझे-समझे ही किसी प्रक्रिया से सुरक्षित कर दिया जाता है.
सुरक्षित करने के लिए दुर्लभ अकानुपात रसायनों का प्रयोग, अत्यंत शीतल वातावरण, बहुत कम आर्द्रता, बहुत कम हवा आदि की तकनीकें अपनायी जाती है.
ममी क्या है (What is Mummy in Hindi)
क्या आप जानते है के ममी किसे कहते हैं? किसी मृत शरीर पर लेप आदि लगाकर मृत शरीर को सालों तक सुरक्षित रखने के तरीकों को ममी कहा जाता है और लोगों का ऐसा मानना है की मिस्र के पिरामिड के अन्दर ममी को रखा गया है.
लेकिन यहाँ सवाल ये उठता है की आखिर मिस्र में mummies बनाई क्यों जाती है? असल में मिस्रवासी मृत्यु के बाद जीवन में विश्वास करते थे. उनका मानना था कि उन्हें अपने शरीर को संरक्षित करना होगा ताकि वे उन्हें जीवन में उपयोग कर सकें. उनमें से कुछ और लोगो का मानना था कि मम्मी मारे हुए लोगो से बहुत प्यार करते थे और उन्होंने वे अपने पास हमेसा रखना चाहते थे इस ऐसा करते थे।
ममी का रहस्य Mystery of Mummy in Egypt Mummy ka rahasya Hindi
मिस्रवासियों का मानना था कि जब वे मर जाएंगे, तो वे दूसरी दुनिया की यात्रा करेंगे जहाँ वे एक नया जीवन जीएंगे. जब वे जीवित थे, तो उन्हें उन सभी चीजों की आवश्यकता होगी जो उनके परिवार ने इस्तेमाल की थीं, इसलिए उनके परिवार के लोग उसके दैनिक उपयोगी वस्तु एवम् अन्य सामानों को जो काम में आए उन चीजों को उनके कब्र में रख देते थे।
मिस्रवासियों ने अपने शरीर को ठीक से संरक्षित करने के लिए बड़ी मात्रा में धन का भुगतान किया. मिस्र के जो गरीब थे उन्हें रेत में दफनाया गया जबकि अमीर लोगों को एक कब्र में दफनाया गया.
ममी की उत्पत्ति प्राचीनकाल में मिस्र के लोगो द्वारा हुई. मिस्र के लोग और बाकि देशो में लोग अपने करीबी रिश्तेदार और प्रिय जानवरों की मृत्यु के बाद उनकी ममी बनाकर सालो तक उन्हें संभाल कर रखते थे. मिस्र में 1 million से ज्यादा ममी है इसके अलावा पुरे विश्व में मानव और जानवरों की ममी आज भी पायी जाती है.
ममी के बारे में जानकारी-
क्यों तैयार की जाती थी ममी?
पिरामिडों में लाशों को रखने से पहले उन्हें ममी में तब्दील किया जाता था और फिर उन्हें पिरामिड में दफना दिया जाता था. प्राचीन मिस्र और विश्व के कई अन्य देश के लोगों का पुनर्जन्म में विश्वास था और वो ये मानते थे की मृत व्यक्ति के शरीर को संभाल कर रखा जाना चाहिए ताकि अगले जन्म में वो उस शरीर को पा सके.
इसी सोच के वजह से प्राचीन काल से लोगों ने ममी बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी और प्राचीन काल से शुरू हुई ये प्रक्रिया आज तक जारी है. शरीर के कई महत्वपूर्ण हिस्सों को बाहर निकाल दिया जाता था, यहाँ तक की दिमाग को भी. हालाँकि दिल को नहीं निकाला जाता था.
ममी का रहस्य Mystery of Mummy in Egypt Mummy ka rahasya Hindi
ममी बनाने की विधि
आखिर कैसे बनाया जाता है ममी? पहले के समय एक ममी बनाने में 70 दिन लग जाते थे और ममी को बनाने के लिए धर्म गुरु और पुरोहित के साथ साथ विशेसज्ञ भी होते थे.
ममी बनाने की विधि और प्रक्रिया को ममिकरण (mummification) कहा जाता है. पहले मृत शरीर को धोया जाता था और शुद्ध किया जाता था. फिर उसके अंग निकाल दिए जाते थे. लेकिन ह्रदय यानि दिल को नहीं निकाला जाता था.
मिस्र वासियों का मानना था की ह्रदय बुद्धि और भावना का केंद्र होता है. फिर मृत शरीर की पूरी नमी को ख़त्म किया जाता है और ऐसा करने में कई दिन का समय लगता था. जब शरीर की नमी ख़त्म हो जाती थी तो पुरे मृत शरीर पर परत दर परत कॉटन या लिनन की पट्टीयो से लपेटा जाता था.
जब पुरे शारीर पर पट्टी लपेट ली जाती थी तो शरीर के आकार से मिलते जुलते लकड़ी के ताबूत तैयार किये जाते थे और फिर इन ताबूत को रंगा जाता था.
और यह सब जब पूरा हो जाता था तब धर्मगुरु के मतानुसार इस पर धार्मिक वाकया आदि लिख दिया जाता था और एक धार्मिक समारोह करके ताबूत को शरीर सहित चबुतरे पर सम्मान के साथ रख दिया जाता था.
ममी के रूप में शरीर को सुरक्षित रखने की यह पूरी प्रक्रिया काफी महँगी थी इसलिए केवल अमीर लोग ही इस प्रक्रिया को अपनाते थे, गरीब लोग रेत में दफना दिए जाते थे.
ममी का रहस्य Mystery of Mummy in Egypt Mummy ka rahasya Hindi
मिस्र के लोग ममी बनाने की इस विधि में इतने कुशल थे की चार हजार साल पहले बनायीं गयी ममी के त्वचा, बाल, पहचानने योग्य निशान जैसी विशेषताये अभी भी मौजूद है.
मिस्र का रहस्य
mishra ka rahasya Hindi
Egypt (मिस्र)
मिस्र बहुत ही प्राचीन देश है. यहाँ के पिरामिडों की प्रसिद्धि और प्राचीनता के बारे में सभी जानते हैं. प्राचीन मिस्र नील नदी के किनारे बसा है. यह उत्तर में भूमध्य सागर, उत्तर-पूर्व में गिज़ा और इजराइल, पूर्व में लाल सागर, पश्चिम में लीबिया एवं दक्षिण में सूडान से घिरा हुआ है.
मिस्र प्राचीन सभ्यताओं वाला देश है. खासकर गिज़ा के पिरामिडों के आसपास बसे शहर को सबसे प्राचीन माना जाता है. यहाँ पर आपको मिस्र की प्राचीन सभ्यता के बारे में ऐसी जानकारी बताने जा रही हूँ जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं-
1. मिस्र सभ्यता के लोग बालों से नफरत करते थे, उनके मुताबिक शरीर पर बाल होना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है.
2. मिस्र में मेकअप करना आवश्यक था. ये लोग सुरमा का प्रयोग करते थे, इनका मानना था की सुरमा उन्हें सूर्य की किरणों, मखियों तथा हानिकारक संक्रमणों से बचाए रखता था.
3. मिस्र के लोगों के लिए दाँतों को साफ़ रखना इतना महत्वपूर्ण था को वो मामियों को टूथ पिक के साथ ही दफनाते थे.
4. ये बहुत ही अचंभित करने वाली बात है की मिस्र में राजाओं के मरने के बाद उनके नौकरों को भी उनके साथ जिंदा दफना दिया जाता था.
5. पूरी दुनिया के विपरीत मिस्र की महिलाएं आज़ाद थीं- वो जमीन खरीद सकती थी, जज बन सकती थी और अपनी वसीयत भी लिख सकती थी. मर्दों की तरह वो बाहर का काम भी करती थी जिसमे उन्हें वेतन दिया जाता था.
6. मिस्र के निवासी गणित में काफी तेज़ होते थे. उनके द्वारा बनायीं गयी संरचनाओं से यह साबित होता है की गणित और वास्तु कला में वो बहुत तेज़ और निपुण थे.
7. प्राचीन मिस्र में बिल्लियों का एक अलग स्थान था. जब भी उनकी पालतू बिल्ली मर जाती थी, तो वे बिल्लियों को ममी बनाते थे और उन्हें चूहे और एक कटोरी दूध के साथ दफनाया जाता था.
8. मिस्र के डॉक्टर एक ही अंग का अध्ययन करते थे. प्राचीन मिस्र में एक चिकित्सक एक ही बीमारी का विशेषज्ञ था और उससे संबंधित इलाज ही करता था. उनके पास हर बीमारी के लिए एक अलग चिकित्सक होता था.
9. मिस्र पर जब फिरौन का शासनकाल था तब वहां की मुद्रा दारू हुआ करती थी.
मिस्र के पिरामिड का रहस्य
mishra ke pyramid ka rahasya in hindi
Pyramid
मिस्र के पिरामिड विश्व के सबसे प्रसिद्ध मानव निर्मित संरचनाओ में से एक है. कहा जाता है की पिरामिड को बनाया गया था राजा-महाराजाओं के शव को ममी के रूप में सुरक्षित रखने के लिए.
प्राचीन मिस्रवासियों की धारणा थी की उनका राजा किसी देवता से कम नहीं और वो उसे उसी रूप में पूजना चाहते थे. मृत्यु के बाद राजा दूसरी दुनिया में अन्य देवताओं से जा मिलता है, इस धारणा के चलते राजा का मकबरा बनाया जाता था और इन्ही मकबरों का नाम पिरामिड रखा गया था. यह मकबरा त्रिभुजाकार होता था.
इनमे केवल राजा ही नहीं बल्कि रानियों के शव भी दफनाये जाते थे और इन शवों के साथ साथ अनेक कीमती वस्तुएं भी दफ़न की जाती थी. लेकिन आज तक किसी भी पिरामिड में कोई भी ममी नहीं मिला.
वैज्ञानिकों के अनुसार इन पिरामिड के निचे बहुत से ऐसे गुप्त कमरे और रास्ते हो सकते हैं जिनके बारे में अभी भी हमारे पास कोई भी जानकारी नहीं है. वैसे तो मिस्र में 138 पिरामिड है, इनमे से सबसे प्रसिद्ध गिज़ा का पिरामिड है.
इसे ग्रेट गिज़ा पिरामिड भी कहा जाता है जो दुनिया के सात अजूबों में से एक है. मिस्र में स्थित गिज़ा पिरामिडों का निर्माण 2560 ईसा पूर्व में किया गया था जो सभी पिरामिड में सबसे ऊँचा पिरामिड है और उसकी ऊचाई 481 फ़ीट है.
यह पिरामिड मिस्र के चौथे वंस के राजा फ़राओ खुफु ने बनाया था जो दुनिया की सबसे लम्बी नील नदी के किनारे से थोड़ी दुरी पर है. इन पिरामिड का निर्माण कैसे किया गया है ये अभी तक एक रहस्य बना हुआ है और पुरातत्ववेत्ता कई सालो से इस रहस्य का समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं.
एक अनुमान के अनुसार गिज़ा के पिरामिड को बनाने में 23 लाख पत्थर के टुकड़ों का इस्तेमाल हुआ है जिनका वजन 2 से 30 टन और कुछ का वजन 45000 किलो तक था. इस पिरामिड को बनाने में करीब 23 साल लगे जिसे 30 लाख मजदूरों ने बनाया था.
गिज़ा के पिरामिड को धीरे धीरे बनाया गया, एक समय पर केवल एक ही ब्लाक बनाया गया, यह भी माना जाता है की प्राचीन मिस्र वासी पत्थरों के विशाल ब्लॉक्स को रेगिस्तान के पार ले जाने में सक्षम थे. एक नयी रिसर्च के मुताबिक गीली रेत के द्वारा भी भरी वस्तुओं को खींचना संभव हुआ.
Dutch शोधकर्ताओं का मानना है की मिस्र वासियों ने एक स्लेज (sledge) पर भारी वस्तुएं रखी और सैंकड़ों मजदूरों द्वारा इन्हें खिंचा गया और इसके सामने रेत पर पानी डाला गया होगा. एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय में हुए प्रयोग से ये बात सामने आई है की रेत में गीलेपन या नमी की सही मात्रा खींचने पर लगने वाले बल को आधा करती है.
गिज़ा पिरामिड के पास दो और पिरामिड है जो उसकी रानी और उसकी माँ के लिए है. मिस्र के पिरामिड की उम्र 4500 साल हो चुकी है लेकिन ये अभी भी सही सलामत है.
इनके बचे रहने का एक कारण इनमे प्रयोग किया गया मोर्टार पत्थर भी है जो आम पत्थर से मजबूत होता है. आपको ये जानकार हैरानी होगी की पिरामिड केवल मिस्र में ही नहीं बल्कि चीन, इंडोनेशिया और साउथ अमेरिका में भी मौजूद हैं.
पिरामिड का जादुई प्रभाव
मिस्र के पिरामिड अपने भीमकाय आकार, अनूठी संरचना और मजबूती के लिए तो जगत में प्रसिद्ध है ही, लेकिन उससे भी कई अधिक प्रसिद्ध है अपने जादुई प्रभाव के लिए.
इसे पिरामिड का जादुई प्रभाव ही कहेंगे की दिन और रात के कठोर उतार-चढ़ाव वाले तापमान के बावजूद, पिरामिड के अन्दर का तापमान हमेशा 20 डिग्री celsius रहता है.
वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा ये प्रमाणित हो गया है की पिरामिड के अन्दर विलक्षण किस्म की उर्जा तरंगें लगातार काम करती रहती है जो चेतन (सजीव) और जड़ (निर्जीव) दोनों ही प्रकार की वस्तुओं पर प्रभाव डालती हैं.
वैज्ञानिक पिरामिड के इस गुण को पिरामिड पॉवर कहते हैं और इसके अन्दर बैठने से कई रोगों से छुटकारा मिलता है जैसे सर दर्द, दांत दर्द, मानसिक तनाव, अनिद्रा जैसे बीमारी ठीक हो जाते हैं.
पिरामिड के अन्दर रखे जल को पिने वाले पाचन संबंधी रोग से कुछ हद तक मुक्ति पाते भी देखा गया है.
मिस्र के पिरामिड और वहां की मिस्र के ममी का रहस्य (Mystery of Mummy in Hindi) इतने लोकप्रिय हैं की हर साल लाखो लोग मिस्र के पिरामिडों की यात्रा करने के लिए जाते हैं, मिस्र की समृद्धि और गौरवशाली कारीगरी और उसके विशाल पिरामिडों को देखने के लिए.
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