Postel system India
डाक व्यवस्था Postal System
भारत में आधुनिक डाक व्यवस्था की स्थापना लॉर्ड क्लाईव द्वारा सन् 1766 में की गयी थी। डाक व्यवस्था को और विकसित करने के क्रम में वारेन हेस्टिंग्स ने सन् 1744 में कलकत्ता में साधारण डाक घर (GPO) की स्थापना की तथा 'पोस्ट मास्टर 'अनल' के पद का गठन किया। आने वाले कुछ ही वर्षों में देश के अन्य प्रेसीडेंसी में भी साधारण डाकघरों की स्थापना की गई। बंबई में सन् 1786 में तथा मद्रास में सन् 1793 में डाकघर अधिनियम, 1773 द्वारा देश के तीनों ही प्रेसीडेंसियों की डाक व्यवस्था विनियमित होती थी तथा देश की डाक व्यवस्था को एक अखिल भारतीय सेवा का स्वरूप मिला। डाक पर अधिनियम, 1854 के द्वारा देश की डाक व्यवस्था में आमूल सुधार किया गया तथा । अक्तूबर, 1854 को इसे वर्तमान प्रशासनिक संरचना प्राप्त हुई। वर्तमान में भारतीय डाक व्यवस्था भारतीय डाक पर अधिनियम, 1898 द्वारा निर्देशित होती है।
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डाक संचार सुविधाओं की आपूर्ति के अतिरिक्त 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से भारतीय डाक के धन प्रेषण, बैंकिंग और बीमा सेवाओं को आपूर्ति प्रारंभ की गयी।
डाक नेटवर्क
स्वतंत्रता प्राप्ति के समय देश में 23344 डाक पर थे। अप्रैल 2005 में डाक घरों की कुल संख्या 155516 हो चुकी थी जिनमें 31 मार्च, 2015 को भारत में 154939 डाक घर थे। 139222 डाक पर ग्रामीण क्षेत्रों में और 15,826 डाक पर शहरी क्षेत्र में थे। इस अवधि में डाक घरों की संख्या में सात गुनी वृद्धि आयी। वर्तमान में भारतीय डाक विश्व की सबसे बड़ी डाक व्यवस्था है। भारतीय डाक नेटवर्क में चार श्रेणी के डाक पर आते हैं- (i) प्रधान डाक घर. (ii) उप डाकघर (iii) गैर- विभागीय
उप डाकघर, और (iv) गैर-विभागीय प्रशाखा डाकघर जहाँ सभी डाक घरो की डाक सेवाएं समान हैं. उनके कार्य क्षेत्र संबंधित कार्यालयों तक ही सीमित हैं। प्रबंध नियंत्रण के मामले में इनके लेखा प्रशाखा डाकघरों से लेकर ऊपर प्रधान डाकघरों तक समेकित होते हैं।
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मार्च 31, 2005 तक डाक विभाग में 2.47 लाख कर्मचारी कार्यरत थे तथा इसके अतिरिक्त ग्रामीण दल सेवकों की संख्या 2.93 लाख थी।
पत्र व्यवस्था
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भारतीय डाक की पत्र व्यवस्था (Mail System) दो श्रेणियों में विभाजित है-प्रथम श्रेणी एवं द्वितीय श्रेणी पत्र व्यवस्थाएं।
प्रथम श्रेणी पत्र व्यवस्था के अंतर्गत पोस्ट कार्ड, अतदेशीय पत्र एवं लिफाफा पत्र को संबद्ध स्टेशन तक वायु मार्ग द्वारा भेजा जाता है जिन पर कोई उप-भार नहीं लगाया जाता है।
पुस्तकों के पैकेट, पंजीकृत अखबार, पत्रिका, पार्सल इत्यादि पत्र व्यवस्था की द्वितीय श्रेणी में रखा गया है, को भूतल परिवहन (यथा-सड़क एवं रेल मार्गों ) द्वारा पहुँचाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय डाक
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भारत यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) का सन् 1876 से तथा एशियन पैसिफिक पोस्टल यूनियन (APPU) का सन् 1964 से सदस्य है। इन डाक संगठनों द्वारा अन्य देशों के साथ डाक व्यवस्था को विस्तारित परिवर्तित तथा सरलीकृत करने का कार्य किया जाता है। भारत का भूतल एवं वायु मार्गों के माध्यम से विश्व 217 देशों के साथ डाक व्यवस्था संबंध है।
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भारतीय डाक के मनी ऑर्डर और पोस्टल ऑर्डर के माध्यमों से विश्व के चुनिंदा देशों से धन प्रेषण (Remittance) की व्यवस्था है। भारतीय डाक विश्व के 27 देशों के साथ मनी ऑर्डर सेवा कार्य करता है। भूटान और नेपाल के साथ भारत दोहरा मनी ऑर्डर सेवा कार्य करता है। अन्य 25 देशों से मनी ऑर्डर की एकतरफा व्यवस्था है अर्थात् वहाँ से भारत में मनी ऑर्डर द्वारा धन प्रेषित हो सकता देश के चुनिंदा डाक घरों में ब्रिटिश एवं आयरिश पोस्टल ऑर्डर के भुगतान की भी व्यवस्था
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भारतीय डाक द्वारा सन् 1986 में, पाँच देशों के लिए अंतर्राष्ट्रीय द्रुत पत्र सेवा (EMS) प्रारंभ की गयी, जिसे अभी 97 देशों तक विस्तारित कर लिया गया है। आयात एवं निर्यात को सरलीकृत करने के लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में विनिमय के प्रधान विदेशी कार्यालयों की स्थापना की गयी है। इसके अतिरिक्त अहमदाबाद, बंगलुरु, कोच्चि, जयपुर, नोएडा और श्रीनगर में छ: उप-प्रधान विदेशी कार्यालयों की भी स्थापना की गयी है। संबद्ध क्षेत्रों में निर्यातकों एवं पर्यटकों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए गुवाहाटी, कानपुर, लुधियाना. मुरादाबाद, सूरत और वाराणासी में निर्यात विस्तारण खिड़कियों (Export Extension Windows) की भी स्थापना की गयी है।
लेबल: education
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