05/06/23

Jute textile industry


 


जूट वस्त्रोद्योग (Jute Textile Industry).


भारत विश्व में जूट वस्तुओं का सबसे बड़ा उत्पादक तथा निर्यात में दूसरे स्थान पर है। विश्व के कुल उत्पाद में इसकी भागीदारी लगभग 35 प्रतिशत है। यह एक श्रम गहन (Labour Intensive) उद्योग है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में 4 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है। इस उद्योग को कृत्रिम रेशे की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है तथा इसका निर्यात घटता जा रहा है।


भारत में पहली जूट मिल 1854 में कोलकाता के नजदीक रिशरा (Rishra) में स्थापित की गयी। इस उद्योग ने 19वीं सदी के परवर्ती भाग में काफी प्रगति की विश्व युद्ध के कारण इस उद्योग के उत्पादों की माँग में बढ़ोतरी हुई, लेकिन विभाजन (1947) के बाद 80 प्रतिशत जूट उत्पादन क्षेत्र पूर्वी पाकिस्तान (बाग्लादेश) में चले गए वहीं 90 प्रतिशत जूट मिलें भारत में रह गई। वर्तमान में भारत में मात्र 79 जूट मिले हैं, जिनमें अधिकांश 62 हुगली नदी के किनारे स्थित हैं खासकर कोलकाता के उत्तर में, आन्ध्र प्रदेश में 7 बिहार में 3 उत्तर प्रदेश 3 तथा असम, ओडिशा, त्रिपुरा तथा छत्तीसगढ़ में एक-एक जूट का कारखाना है। बोरा, कैनवस, पैकशीट, कालीन, गलीचे, कम्बल, इत्यादि जूट के मुख्य उत्पाद हैं। भारत में जूट के कारखानों की उतपादन क्षमता 2.64 मिलियन टन प्रतिवर्ष है।

Jute textile industry 

जूट उद्योग मुख्यतः कच्चे माल पर आधारित उद्योग है। इसलिए अधिकतर जूट मिल देश के जूट उत्पादन करने वाले क्षेत्रों में स्थित है। देश के कुल जूट उत्पादन का 85 प्रतिशत पश्चिम बंगाल में उत्पादित होता है ।


पश्चिम बंगाल में अधिक मात्रा में जूट-मिल होने का कारण निम्नलिखित है:

1. पश्चिम बंगाल तथा निचले असम की जलवायु जूट उत्पादन के लिए उपयुक्त है इसलिए जूट मिलों को कच्चा मालआसानी से प्राप्त हो जाता है। 

2. पश्चिम बंगाल देश के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है, इसलिए यहाँ सस्ती दर पर प्रशिक्षित मजदूर उपलब्ध हैं।

3. हुगली नदी पर जल परिवहन की सुलभ व्यवस्था

4. पश्चिम बंगाल की मिलों में रानीगंज कोयला क्षेत्र से आसानी से कोयला प्राप्त किया जाता है।

5. कोलकाता एवं हल्दिया बंदरगाहों द्वारा निर्यात की सुविधा ।

Jute textile industry 

 पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त जूट मिले इलेरू, विशाखापट्टनम, गुटर तथा ओन्गोले (आंध्र प्रदेश): दरभंगा गया, कटिहार तथा समस्तीपुर (बिहार); कानपुर (उत्तर प्रदेश) तथा रायगढ़ (छत्तीसगढ़) में भी स्थित हैं। हुगली क्षेत्र से बाहर को मिले सामान्यतः छोटे आकार की हैं।


जूट तथा जूट उत्पाद के निर्यात में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। जूट से बनी वस्तुओं का निर्यात संयुक्त राज्य अमेरिका (30 प्रतिशत) रूस ( 25 प्रतिशत) संयुक्त अरब अमीरात (10 प्रतिशत), ब्रिटेन तथा जर्मनी (दोनों 2 प्रतिशत) को होता है। भारतीय जूट उत्पादों के अन्य प्रमुख आयातक है- अर्जेन्टीना, ऑस्ट्रेलिया, रूस, क्यूबा, इंडोनेशिया, जापान, म्यांमार, मलेशिया, सिंगापुर, सूडान तथा थाईलैण्ड ।

Jute textile industry



जूट उद्योग की समस्याएँ


भारत में जूट उद्योग कई समस्याओं का सामना कर रहा है, जिनमें प्रमुख हैं:

1. कच्चे माल की कमीः भारत जूट के घरेलू उद्योगों को कच्चे माल की आपूर्ति करने में आत्मनिर्भर नहीं है। इसलिए भारत में कच्चा माल बांग्लादेश, ब्राजील तथा फिलीपीन्स से आयात किया जाता है। कच्चे माल की आपूर्ति के लिए सुनहरी - क्रान्ति (Golden Fibre Revolution) की आवश्यकता है।

2. अप्रचलित मशीनरी: पुरानी व अप्रचलित मशीनरी के कारण भी इस क्षेत्र में उत्पादन घट गया है।

3. अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धाः भारत जूट तथा जूट उत्पाद के निर्यात के क्षेत्र में ब्राजील, फिलीपीन्स, जापान तथा दक्षिण कोरिया से चुनौती का सामना कर रहा है।

4. अधिक मूल्यः कच्चे माल के अधिक मूल्यों के कारण जूट उत्पाद महँगे हो गए हैं। फलस्वरूप कई जूट मिलें घाटे में चल रही हैं।

5. जूट उत्पादों की घटती माँगः अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में जूट उत्पादों की माँग घटती जा रही है।

6. हड़ताल तथा तालाबन्दी: जूट मिलों में अक्सर हड़ताल एवं तालाबंदी के कारण नियमित कारोबार ठप्प पड़ जाता है।

7. वैकल्पिक उत्पादों से प्रतिस्पर्द्धाः जूट उद्योगों को वर्तमान में 'सिंथेटिक' (कृत्रिम) उत्पादों से कड़ी प्रतिस्पर्द्धा करनी पड़ रही है।

लेबल:

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]

<< मुख्यपृष्ठ