05/06/23

Sunami kya hai

 



सुनामी (Tsunami)


किसी जल-निकाय (Waterhody), जैसे-महासागर का तीव्र गति से विस्थापित तरंगों का एक क्रम उत्पन्न करता है, जिसे सुनामी (Timami) कहते हैं। भूकम्प, जल-स्तर के ऊपर या नीचे बड़े पैमाने पर सचलन, ज्वालामुखी विस्फोट तथा अन्तर्जलीय विस्फोट, भूखतनं अन्तर्जलीय भूकम्प, बड़े उल्का पिंडों अथवा ग्रहिकाओं का प्रभाव तथा समुद्र में परमाणु परीक्षण सभी सुनामी उत्पन्न करने को क्षमता रखते हैं।

 छोटे पैमाने पर सुनामी का प्रभाव नगण्य होता है परन्तु बड़े पैमाने पर विध्वंसक होता है। सुनामी 'शब्द' दो जापानी शब्दों-'सु' (Tsu) अर्थात् बन्दरगाह तथा 'नामी' (Nami) अर्थात तरंग को जोड़कर बना है। जापान के इतिहास में सुनामी एक आम घटना है. इस देश में लगभग 195 सुनामी की घटनाएँ दर्ज की गई हैं।


Sunami kya hai 

अपतट पर सुनामी का लघु आयाम (तरंगों की ऊँचाई) (Amplitude) तथा एक शक्तिशाली तरंग दैर्ध्य (Wave-length) (अक्सर सैकड़ों किलोमीटर तक) होता है, जिसके कारण वे सागर पर नहीं दिखते तथा गुजरते हुए एक हल्के टीले (hump) को नजर आते हैं। सुनामी को पुराने जमाने में ज्वारीय तरंग कहा जाता था क्योंकि तट के नजदीक आते हो यह ज्वार भाटा की हो प्रचंड रूप धारण कर लेता है।

 यह तरंग- भूग (Cresting waves) की तरह नहीं होता है, जो महासागरों पर पवन के प्रभाव से निर्मित होते हैं (जिससे लोग अच्छी तरह अवगत हैं)। चूंकि सुनामी का सम्बन्ध ज्वार भाटा से नहीं है इसलिए सुनामी को न्यारीय तरंग कहा जाना उपयुक्त नहीं है तथा समुद्र वैज्ञानिकों ने इस शब्द के उपयोग को रोकने का प्रयास किया है। सुनामी के कारण (Causes of Tsunami)


Sunami kya hai 

सुनामी तब उत्पन्न होती है, जब प्लेटों की सीमाओं के आकस्मिक विरूपण के कारण ऊपरी जल का कयाधर (Vertical) विस्थापन होता है। पृथ्वी के भूपटल के ऐसे बड़े ऊर्ध्वाधर संचलन प्लेटों की सीमाओं के नजदीक उत्पन्न होते हैं। सबडक्शन (Subduction) भूकम्प सुनामी उत्पन्न करने में आंशिक रूप से प्रभावी होते हैं। 1940 के दशक में हिलो, (Hilo) हवाई (Hawaii) में सुनामी का कारण अलास्का के ऐलुशियन द्वीप (Aluetian Island) में आया भूकम्प था।

 इस भूकम्प की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.8 थी। सुनामी एक बड़े भूकम्प से उत्पन्न होता है, जिसके कारण जल के अन्दर की प्लेट ऊपर की ओर उठ जाती हैं तथा एक बड़ी तरंग उत्पन्न होती है।


1950 के दशक में विशेषज्ञ यह मानने लगे थे कि कुछ बड़ी सुनामी के संभावित कारण- भूस्खलन, ज्वालामुखी विस्फोट,


परीक्षण इत्यादि हो सकते हैं। ये घटनाएँ तीव्र गति से बड़ी मात्रा में जल को विस्थापित करती है। चूँकि मलबों के जल में गिरने तथा विस्तरण से ऊर्जा काजल की ओर स्थानांतरण होता है। इन प्रक्रियाओं से उत्पन्न सुनामी महासागरों की सुनामी की अपेक्षा अधिक जल्दी मिट जाती है तथा कभी-कभार ही तट को प्रभावित करती हैं। इस प्रकार की सुनामी का प्रभाव क्षेत्र अत्यन्त छोटा होता है ये घटनाएँ अधिक बई स्थानीय तरंगों (Solitons) को जन्म दे सकती हैं, जैसे लिया खाड़ी (Lituya Bay) के शीर्ष पर हुए भूस्खलन से. 50-150 मीटर के आकार को एक जल तरंग की उत्पत्ती हुई, जो स्थानीय पर्वत के निकट लगभग 524 मीटर की ऊंचाई तक जा पहुँची। एक अत्यन्त बड़ा भूस्खलन एक दीर्घ आकार के सुनामी (Megatsunami) को जन्म दे सकता है, जिसका प्रभाव महासागर में भी देखा जा सकता है। 


जापान का एक बड़ा भूकम्प ।। मार्च, 2011 को आया जिसका केन्द्र होन्शू द्वीप (Hanshu Island) के निकट उतर पूर्व में था। इसकी तीव्रता 9.0 से अधिक थी। इस भूकम्प से उत्पन्न होने वाली लहरों को लपेट में डायची नगर (Daicha chy) पूर्ण रूप से बर्बाद हो गया। 15,854 लोगों की जाने गई, 3274 व्यक्ति लापता हुए तथा 320,000 शरण गृहों में रहने को विदेश हुए। फुकुशिमा के 54 न्यूक्लियर रिएक्टर में से 52 नष्ट हो गए, जिनमें से केवल दो कार्य कर रहे हैं।



सुनामी के संकेत (Signs of an Approching Tunami)


सुनामी के आगमन का असर कोई नहीं होता है। कार सुनामी का कारण होता है इसलिए किसी जल निकाय (waterbonly) के नजदीक भूकम्प की घटना सुनामी के आगमन का संकेत हो सकती है। यदि तट पर पहुँचने वाला सुनामी का पहला भाग तरंग के मृग (crest) की बजाय द्रोण (trough) हो तो तट का विस्थापन पीछे की ओर होगा तथा क्षेत्र हो जाएंगे, जो सामान्यतः जलमग्न रहते हैं। यह सुनामी के मृग के आगमन का एक संकेत हो सकता है परन्तु यह संकेत क्षणिक होता है क्योंकि इस संकेत तथा आगामी खतरे के बीच कुछ सेकण्ड से लेकर एक


मिनट तक का अन्तर होता है। वर्ष 2004 में हिन्द महासागर में आए सुनामी के समय समुद्र का पीछे की ओर विस्थापन न ही अफ्रीकी तट तथा न ही पश्चिमी तट में देखा गया, ज्योंही पूर्व दिशा की ओर से सुनामी इन वटों की तरफ बढ़ा

Sunami kya hai 

सुनामी अधिकतर प्रशांत महासागर में घटित होते हैं लेकिन यह एक विश्वव्यापी घटना है। सुनामी की घटना उन सभी जगहों पर संभव है. जहाँ बड़े जल निकाय (waterbodies) पाए जाते है, जिसमें अंतःस्थलीय झोल शामिल हैं, यहाँ सुनामी का कारण भूस्खलन होता है। कम तीव्रता वाले भूकम्पों तथा अन्य घटनाओं के कारण अक्सर छोटी सुनामी उत्पन्न होती है, जो विध्वंसक नहीं होती तथा बगैर विशेष उपकरण द्वारा इनका पता नहीं चल सकता है।


इतिहास में सुनामी (Tsunami in History)


इतिहास में सुनामी एक दुर्लभ घटना नहीं है। पिछली सदी में लगभग 25 सुनामी की घटनाएँ हुई है। इनमें से कई एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दर्ज की गई, खासकर जापान में वर्ष 2004 में आए सुनामी के कारण लाखों लोगों की जान गई। मिस्र के नगर सिकंदरिया (Alexandria) के विनाश का कारण अब सुनामी हो माना जाता है।


चेतावनी तथा बचाव (Warning and Prevention


सुनामी की रोका नहीं जा सकता और न ही इसका सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। परन्तु सुनामी के आगमन के कुछ संकेत है तथा कई ऐसे तरीके विकसित किए जा रहे हैं, जिससे सुनामी से हुई क्षति को कम किया जा सकेगा। ऐसे मामले जहाँ तट पर पहुँचने वाले सुनामी का पहला भाग यदि तरंग का द्रोण हो तो तट का विस्थापन पीछे की ओर तरंग के आवागमन से पहले तरंग के आधे अवधि तक होगा। यदि तटीय समुद्र तल का ढाल उचला हो तो यह विस्थापन सैकड़ों मीटर से अधिक हो सकता है। आगामी खतरे (सुनामी के श्रृंग के आगमन पर ) से अनभिज्ञ लोग तट पर अपनी जिज्ञासा वश रहते हैं या फिर अनावृत समुद्र तल से मछली एकत्र करने के लिए।



ऐसे क्षेत्र जहाँ सुनामी का खतरा अधिक होता है, वहाँ सुनामी के पूर्वानुमान के लिए सुनामी चेतावनी तंत्र की मदद ली जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तट (इस क्षेत्र में अक्सर प्रशांत महासागर के सुनामी का खतरा बना रहता है) के निकट रह रहे समुदायों के बीच सुनामी के लिए कुछ चेतावनी संकेत प्रचलन में हैं, जो लोगों को सुनामी से उत्पन्न परिस्थिति से निपटने में मदद करते हैं। ये संकेत लोगों को यह सुझाव देते हैं कि सुनामी के आने पर आश्रय के लिए किस ओर जाना चाहिए। कम्प्यूटर मॉडल द्वारा सुनामी के आगमन का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। सुनामी के प्रभाव का आकलन इसके कारण से सम्बन्धित सूचनाओं से तथा समुद्र तल के आकार (bathmetry) व तटीय भूमि के आकार (स्थलाकृति) के आधार पर किया जा सकता है। 

Sunami kya hai 

सुनामी का एक पूर्व संकेत पशुओं के व्यवहार द्वारा भी मिलता है। कई पशु आने वाले खतरे को समझ लेते हैं तथा ऊँचे स्थानों की ओर चले जाते हैं। लिम्बन भूकम्प यूरोप में जानवरों के असामान्य व्यवहार का दर्ज किया गया पहला मामला है। वर्ष 2004 में हिन्द महासागर में सुनामी आने से पहले पशुओं का असामान्य व्यवहार श्रीलंका में भी देखा गया था। 

यद्यपि सुनामी को रोका नहीं जा सकता है परन्तु कुछ सुनामी प्रवण देशों ने ऐसे कदम उठाए है, जिससे तट के निकट हुई क्षति को कम किया जा सकेगा। जापान ने एक व्यापक कार्यक्रम का कार्यान्वयन किया है, जिसके तहत अधिक आबादी वाले तटीय क्षेत्रों में सुनामी से बचाव के लिए 4.5 मीटर (13.5 फीट) ऊँची दीवारों का निर्माण शामिल है।

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अन्य स्थानों में बाढ़ द्वार तथा जलमार्गों का निर्माण किया गया है ताकि सुनामी से आने वाले जल की दिशा में परिवर्तन किया जा सके। सुनामी से बचाव के लिए निर्मित दीवारों को प्रभाविता पर प्रश्न चिन्ह खड़े किए गए है। चूँकि सुनामी की ऊँचाई इन निर्मित अवरोधों से कहीं अधिक होती है। प्राकृतिक उपायों (जैसे-तट के निकट बड़ी मात्रा में वृक्ष लगाना) के द्वारा सुनामी से हुई क्षति को कम किया जा सकता है। वर्ष 2004 में हिन्द महासागर में आई सुनामी के मार्ग में कई ऐसे स्थान थे, जहाँ क्षति की मात्रा नगण्य थी क्योंकि सुनामी की ऊर्जा को यहाँ मौजूद नारियल, ताड़ तथा मैन्ग्रोव (Mangrove) के वृक्षों द्वारा अशक्त कर दिया गया। भारत के तमिलनाडु राज्य का नालुवेदापथी गाँव 2004 की सुनामी से प्रभावित नहीं हुआ। वृक्षारोपण के कारण यहाँ हुई क्षति नगण्य थी। यह गाँव वर्ष 2002 में समुद्र तट के निकट 80,244 वृक्ष लगाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुका था।

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