05/06/23

poultry farming के बारे में विस्तृत जानकारी



मुर्गी पालन  Poultry Farming
मुर्गी पालन (रजत क्रांति) यह पशुपालन का एक उपभाग है, जिसमें माँस तथा अंडों के लिए कुक्कुट, टर्की, बतख तथा गीजों (Geese) का पालन-पोषण किया जाता है। इसमें कम पूँजी की आवश्यकता होती है तथा यह क्षेत्र ग्रामीण आबादी को कम समय में एक अतिरिक्त आय का स्रोत तथा रोजगार का अवसर प्रदान करता है। अधिकतर मुर्गी पालन फैक्टरी फार्म तकनीकों के अनुसार किया जाता है। 'दि वर्ल्डवॉच इंस्टीट्यूट' के अनुसार, विश्व में 75 प्रतिशत कुक्कुट माँस तथा 70 प्रतिशत अंडे इसी तरह उत्पन्न किए जाते हैं

poultry farming 
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मुर्गी पालन की दोनों विधियों (स्वतंत्र रूप से 'कुक्कुट पालन' तथा 'फैक्टरी फार्मिंग') के बीच परस्पर विवाद है। फैक्टरी फार्मिंग के विरोधी यह मानते हैं कि यह विधि पर्यावरण तथा स्वास्थ्य के लिए खतरा है तथा यह कुक्कुट पालन का निर्मम व क्रूर तरीका है। फैक्टरी फार्मिंग के समर्थक यह मानते हैं कि इस विधि से उत्पादकता बढ़ती है, यह बढ़ती विश्व जनसंख्या के लिए अनिवार्य है, न केवल इसमें मुर्गे मुर्गियों की अच्छी देख-रेख होती है बल्कि यह विधि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखती है।

भारत में मुर्गी पालन  Poultry Farming in India

भारत में मुर्गी पालन काफी पुराना है। वर्तमान में इस क्षेत्र में 3 मिलियन से अधिक लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। इस क्षेत्र द्वारा वर्ष 2014-15 में लगभग 2.4 मिलियन टन कुक्कुट माँस उत्पादि किया गया। 1970 से 2011 के बीच अंडों की वार्षिक प्रति व्यक्ति उपलब्धता चार गुना अधिक हो गई है ( 10 से 45) वही कुक्कुट माँस को उपलब्धता में और अधिक वृद्धि हुई, यह 145 ग्राम से 1.7 किलो हो गयी। वर्तमान में भारत 78.12 बिलियन अंडों का प्रतिवर्ष उत्पादन करता है।

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यह क्षेत्र न केवल रोजगार के अवसर तथा वैकल्पिक आय को बढ़ाता है बल्कि गाँवों के गरीब लोगों को पोषक की गारंटी भी प्रदान करता है। भूमिहीन मजदूर अपने आय का 50 प्रतिशत से भी अधिक पशुधन से प्राप्त करते हैं, खासकर मुर्गी पालन से भारत सरकार ने 2014-15 तक इस क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत दर विकास के साथ 78 अरब से अधिक अंडों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।

कुक्कुट तथा मुर्गी उत्पादन के विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी बहुत कम है परन्तु पिछले दशक में ऐसे निर्यातों का मूल्य 11 करोड़ (1990.91) से बढ़कर 350 करोड़ रुपये (2010-11 ) हो गया। इस क्षेत्र के उत्पाद, जैसे- जीवित मुर्गे-मुर्गियों, अंडे, अंडे का पाउडर, जमे हुए अंडे तथा मुर्गे मुर्गियों के माँस आदि का निर्यात बंगलादेश, श्रीलंका, दक्षिण-पश्चिम एशिया,जापान, डेनमार्क, पौलेंड, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा अगोला जैसे देश को किया जाता है। इस क्षेत्र के कुल उत्पादन का मूल्य लगभग 20,000 करोड़ रुपए हैं।

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भारत में 260 मिलियन से अधिक मुर्गियों है तथा वर्ष 2010-11 में भारत में अड़ों का उत्पादन 30 मिलियन अंडे था। भारत में कुक्कुट की सबसे अधिक संख्या आंध्र प्रदेश में है, जिसके बाद बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, असम, कर्नाटक- केरल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा हरियाणा का स्थान आता है। अधिकतर बड़े पोल्ट्री फॉर्म महत्वपूर्ण नगरीय केन्द्रों के निकट विकसित किए जा रहे हैं. जैसे- मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, बंगलौर, पुणे, नागपुर, शिमला, भुवनेश्वर, अजमेर, चण्डीगढ़ तथा भोपाल।

मुर्गे मुर्गियों का पर्याप्त पोषण तथा बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लुएन्जा) पर नियंत्रण इस क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। एवियन फ्लू की पहली घटना महाराष्ट्र में फरवरी 2006 में सामने आयी। सरकार द्वारा देश स्तर पर इसको रोकथाम के लिए कार्य किया जा रहा है।

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केन्द्रीय कुक्कुट विकास संगठन संसाधनहीन किसानों विशेषकर महिलाओं में पोषण संबंधी भुखमरी दूर करने और गरीबी उन्मूलन के एक साधन के रूप में कुक्कुट को अपनाने की सरकार की नीतियों के अनुपालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। केन्द्रीय कुक्कुट विकास संगठनों के लक्ष्य में विशेष संशोधन करते हुए इस विभाग की सभी कुक्कट इकाईयों का पुनर्गठन किया गया है. ताकि ये उन्नत देशज पक्षियों पर ध्यान केंद्रित करें, जो वर्ष में औसतन 180-200 अंडे देती है और आहार उपभोग एवं भारत के संदर्भ में उनका FCR. औसत अत्यन्त परिष्कृत है। केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठनों को एक दिन के चूजों के रूप में उत्कृष्ट जनन द्रव्य पैदा करने और निर्भीक, हितकारी, वनराजा, श्यामा कारी, चाबरों आदि प्रजातियों के अंडों को सेने की व्यवस्था करने का दायित्व सौंपा गया है। ये संगठन आहार नमूनों के विश्लेषण में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

उपरोक्त गतिविधियों के अतिरिक्त ये संस्थान अन्य पक्षी प्रजातियों (जैसे- बतख/टकी/मुर्गी/जापानी बटेर) के विविधीकरण की योजना बनाने, प्रशिक्षण इकाई को अंतर्राष्ट्रीय शीतोष्ण पक्षी प्रबंधन संस्थान के रूप में उन्नत करने के उपाय भी कर रहे हैं. जिसमें सार्वजनिक निजी भागीदारी का प्रावधान है। फिलहाल ये संस्थान केन्द्र प्रायोजित योजना 'राज्य कुक्कुट फार्मों को सहायता का संचालन और उन्हें प्रोत्साहित करने जैसे कार्यों में भी लगे हुए हैं।

poultry farming 
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राज्य कुक्कुट पालन फार्म को सहायता प्रदान करने के लिए एक नई केन्द्रीय योजना दसवीं पंचवर्षीय योजना से कार्यान्वित

की जा रही है जिसमें मुर्गियों की देखरेख, अंडों और अंडों को सेने तथा उनकी बीमारियों की पहचान से सम्बन्धित सुविधाओं को समुचित रूप से उपलब्ध कराने हेतु एकमुश्त सहायता दी जाती है।

वर्ष 2004-05 के दौरान 'डेयरी पोल्ट्री उद्यम पूंजी कोप' (Dairy/Poultry Venture Capital Fund) नाम की एक योजना शुरू की गई, जिसमें ब्याज की अदायगी पर सब्सिडी देने का प्रावधान है। इस योजना को लागू करने में नाबार्ड राष्ट्रीयकृत वाणिज्यिक बैंकों की सहायता से नोडल ऐजेन्सी की भूमिका अदा करता है। वर्ष 2005-06 में 2.17 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल 49 मुर्गीपालन इकाइयां स्वीकृत की गई हैं।

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